skin cancer kaise hota hai

 

त्वचा कैंसर (Skin Cancer) कैसे होता है? कारण, प्रकार और बचने के तरीके

क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी त्वचा, जो हमें हर मौसम और हर खतरे से बचाती है, वह खुद भी बीमार पड़ सकती है?

​त्वचा कैंसर, यानी 'स्किन कैंसर', हमारी त्वचा की कोशिकाओं की एक ऐसी अनियंत्रित और असामान्य वृद्धि है, जिसे हम अपनी आँखों से देख सकते हैं और अगर समय रहते न पहचाना जाए, तो यह जानलेवा भी हो सकता है। पर यह होता कैसे है? इसका जवाब हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी और सूरज की रोशनी में छिपा है।

​आइए, समझते हैं कि त्वचा कैंसर (Skin Cancer) की शुरुआत कैसे होती है, और हम इससे खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।

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​त्वचा कैंसर की 'असली कहानी': कोशिकाएँ जब बेकाबू हो जाती हैं

​हमारी त्वचा अनगिनत कोशिकाओं से मिलकर बनी है। ये कोशिकाएँ एक तय समय पर बनती हैं, अपना काम करती हैं और फिर मर जाती हैं। यह एक व्यवस्थित चक्र है।

लेकिन, कैंसर तब होता है जब यह चक्र टूट जाता है।

​जब किसी कारण से, अक्सर पराबैंगनी (UV) विकिरण के कारण, इन त्वचा कोशिकाओं के अंदर मौजूद DNA को नुकसान पहुँचता है, तो वे खराब हो जाती हैं। DNA हमारी कोशिकाओं का 'नियंत्रण केंद्र' है, जो उन्हें बताता है कि कब बढ़ना है और कब मरना है।

​जब DNA खराब हो जाता है, तो कोशिकाएँ पागल होकर अनियमित तरीके से और तेज़ी से बढ़ना शुरू कर देती हैं। वे न तो रुकती हैं और न ही मरती हैं। ये असामान्य कोशिकाएँ एक जगह इकट्ठा होकर एक गाँठ या ट्यूमर (Tumor) बना लेती हैं, जिसे हम त्वचा कैंसर कहते हैं।

याद रखें: अधिकांश त्वचा कैंसर का मुख्य खलनायक सूरज की रोशनी या टैनिंग बेड (Tanning Beds) से निकलने वाली हानिकारक UV किरणें होती हैं।


​मुख्य कारण: 'UV किरणें' और आपकी त्वचा का DNA

​त्वचा कैंसर के 90% से अधिक मामलों के लिए सीधा दोष सूर्य के प्रकाश को दिया जा सकता है।

​1. सूर्य से आने वाली पराबैंगनी (UV) किरणें

​जब आप लंबे समय तक बिना सुरक्षा के धूप में रहते हैं, तो UV किरणें आपकी त्वचा की कोशिकाओं में घुसकर DNA को जला देती हैं। यह DNA क्षति कई सालों तक जमा होती रहती है। बचपन में हुए गंभीर 'सनबर्न' (Sunburn) भी भविष्य में त्वचा कैंसर का खतरा बहुत बढ़ा सकते हैं।

​2. टैनिंग बेड और लैंप का उपयोग

​कुछ लोग 'टैनिंग' के लिए कृत्रिम UV स्रोतों (जैसे टैनिंग बेड) का इस्तेमाल करते हैं। ये उपकरण सीधे और शक्तिशाली UV किरणें छोड़ते हैं जो प्राकृतिक सूर्य के प्रकाश से भी अधिक खतरनाक हो सकती हैं और कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ा देती हैं।

​3. आपकी त्वचा का प्रकार और आनुवंशिकी

  • गोरी त्वचा: जिन लोगों की त्वचा का रंग गोरा होता है, उनमें मेलेनिन (Melanin) नामक सुरक्षात्मक वर्णक (Pigment) कम होता है। मेलेनिन त्वचा को UV किरणों से बचाता है। मेलेनिन कम होने के कारण गोरी त्वचा वाले लोगों को कैंसर का खतरा अधिक होता है।
  • तिल (Moles): अगर आपकी त्वचा पर बहुत सारे तिल हैं या असामान्य दिखने वाले बड़े तिल हैं, तो यह मेलेनोमा (सबसे खतरनाक प्रकार का त्वचा कैंसर) का जोखिम बढ़ा सकता है।
  • पारिवारिक इतिहास: यदि आपके परिवार में किसी को त्वचा कैंसर हुआ है, तो आपको भी यह होने की संभावना बढ़ जाती है।

​4. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (Weak Immune System)

​जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) किसी बीमारी या दवा (जैसे अंग प्रत्यारोपण के बाद की दवाएं) के कारण कमज़ोर हो जाती है, उनमें त्वचा कैंसर विकसित होने की संभावना अधिक होती है।